शायर हूँ यारो शायरी के लिये ..
Monday, 21 August 2017
सुबह उड़े थे घर से जो पंछी शाम कुछ न वापस आये क्यों,
पंख दिए जब उड़ने को तो न आने पर उनके आँसू बहाये क्यों.....
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